former army official Mohammad A Haq name is not mentioned in NRC list
असम: 30 साल सेना को देने वाले अफसर मोहम्मद हक का सिटीजन रजिस्टर में नाम नहींएनआरसी में अपना नाम न होने से काफी दुखी हैं सेना से रिटायर अफसर हक
गुवाहाटी. असम के नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन के फाइनल ड्राफ्ट में भारतीय सेना के रिटायर अफसर मोहम्मद हक का नाम नहीं है। हक एनआरसी में अपना नाम न होने से काफी दुखी हैं। उन्होंने बुधवार को कहा, “मैंने 30 साल तक भारतीय सेना की सेवा की। पूरी निष्ठा के साथ अपना फर्ज निभाया। मेरे पास मेरे परिजनों के कानूनी दस्तावेज भी हैं।” हक ने मामले की जांच की मांग की है।
असम में एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट सोमवार को जारी किया गया। इसके मुताबिक, 3.39 करोड़ में से 2.89 करोड़ लोगों को नागरिकता के लिए योग्य पाया गया। 40 लाख लोगों के नाम इस लिस्ट में नहीं हैं। हालांकि, केंद्र ने कहा कि ड्राफ्ट में जिन लोगों के नाम नहीं हैं, उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। यह सिटीजन रजिस्टर का दूसरा और अंतिम ड्राफ्ट है।
30 अगस्त से शुरू होगी ड्राफ्ट पर आपत्ति की प्रक्रिया: गृह मंत्रालय के मुताबिक, जिनके नाम इस ड्राफ्ट में शामिल नहीं हैं, उन्हें विदेशी घोषित नहीं किया जाएगा। ये अधिकार केवल ट्रिब्यूनल के पास है, जहां ऐसे लोग जा सकते हैं। जिनके नाम फाइनल ड्राफ्ट में नहीं हैं, उन्हें भारत या असम का अवैध निवासी भी नहीं माना जाएगा। ड्राफ्ट पर दावे और आपत्ति की प्रक्रिया 30 अगस्त से शुरू होगी और 28 सितंबर तक चलेगी।
कौन हैं वे 40 लाख लोग जिनके नाम ड्राफ्ट में नहीं : असम के सिटीजन रजिस्टर में चार कैटेगरी में दर्ज लोगों को शामिल नहीं किया गया। ये कैटेगरी हैं- 1) संदिग्ध वोटर, 2) संदिग्ध वोटरों के परिवार के लोग, 3) फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में जिनके मामले लंबित हैं, 4) जिनके मामले लंबित हैं, उनके बच्चे। इनमें सबसे विवादास्पद कैटेगरी संदिग्ध वोटरों की है। चुनाव आयोग ने 1997 में यह कैटेगरी शुरू की थी। ऐसे 1.25 लाख संदिग्ध वोटर असम में हैं। वहीं, 1.30 लाख मामले फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल में लंबित हैं।